अज़ीज़ इतना हि रखो के जी सम्भल जाये - The Indic Lyrics Database

अज़ीज़ इतना हि रखो के जी सम्भल जाये

गीतकार - ओबैदुल्लाह अलीम | गायक - गुलाम अली | संगीत - गुलाम अली, रफीक हुसैन | फ़िल्म - लम्हा लम्हा (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1993

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अजीज़ इतना ही रखो के जी सम्भल जाये
अब इस क़दर भी न चाहो के दम निकल जायेमुहब्बतों में अजब है दिलों को धड़का सा
के जाने कौन कहाँ रास्ता बदल जायेज़हे वो दिल जो तमना-ए-ताज़ातर में रहे
ख़्हुशा वो उम्र जो ख़्वाबों में ही बहल जायेमैं वो चराग़-ए-सर-ए-रह-गुज़ार-ए-दुनिया हूँ
जो अपनी ज़ात की तन्हाइयों में जल जायेहर एक लम्हा यही आरज़ू यही हसरत
जो आग दिल में है वो शे में भी ढल जाये