बाजे बाँसरी चले सांवरी होए बनवारी हो - The Indic Lyrics Database

बाजे बाँसरी चले सांवरी होए बनवारी हो

गीतकार - उद्धव कुमार | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - रोशन | फ़िल्म - शीशम | वर्ष - 1952

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बजे बाँसरी चले साँवरी होये बाँवरी हो
सारी दुनिया पयार की ) -२छुनक छुनक मोरी बाजे रे पयलिया
ठुमक ठुमक ले के चली हूँ गगरिया
ठुमक ठुमक ले के चली
लागे ना नजरिया बाली है उमरिया
बोले है गुजरिया हो
दुनिया मौज बहार कीबजे बाँसरी चले साँवरी होये बाँवरी हो
सारी दुनिया पयार की( चमक चमक मन मोहे रे तितलिया हो
कुहू कुहू हू बोले डालों पे कोयलिया हो ) -२
हरी है डगरिया फूलों की नगरिया
छायी है बदरिया हो
सुध भूली सन्सार कीबजे बाँसरी चले साँवरी होये बाँवरी हो
सारी दुनिया पयार कीलहर लहर हवा लहराये बालों को
चटक मटक छू जाये गोरे गालों को
चटक मटक छू जाये
ख़ुशी का ज़माना मौसम है सुहाना
मुझे ना सताना हो
मैं छोरी नम्बरदार की( बजे बाँसरी चले साँवरी होये बाँवरी हो
सारी दुनिया पयार की ) -२