आज क्यों हमसे पर्दा है - The Indic Lyrics Database

आज क्यों हमसे पर्दा है

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - Nil | संगीत - एन. दत्ता | फ़िल्म - साधना | वर्ष - 1958

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आज क्यों हमसे पर्दा है जी आज क्यों हमसे पर्दा है
तेरा हर रंग हमने देखा है
तेरा हर ढंग हमने देखा है
पास आकर भी तुझको देखा है
दूर जाकर भी तुझको देखा है
तुझको हर तरह आजमाया है
पा के खोया है, खो के पाया है
अंखड़ियों का बयाँ समझते हैं
धड़कनों की ज़बाँ समझते हैं
चूड़ियों की खनक से वाक़िफ़ हैं
छागलों की छनक से वाक़िफ़ हैं
नाज़-ओ-अंदाज़ जानते हैं हम
तेरा हर राज़ जानते हैं हम
फिर
आज क्यों हमसे पर्दा है
दिल दुखाने से फायदा क्या है
मुँह छुपाने से फायदा क्या है
उलझी उलझी लटें सँवार के आ
हुस्न को और भी निखार के आ
नर्म गालों में बिजलियाँ लेकर
शोख़ आँखों में तितलियाँ लेकर
आ भी जा अब अदा से लहराती
एक दुल्हन की तरह शर्माती
तू नहीं है तो रात सूनी है
इश्क़ की कायनात सूनी है
मरने वालों की ज़िन्दगी तू है
इस अँधेरे की रौशनी तू है
फिर
आज क्यों हमसे पर्दा है
आ तेरा इंतज़ार कब से है
हर नज़र बेक़रार कब से है
शम्मा रह रह के झिलमिलाती है
साँस तारों की डूबी जाती है
तू अगर मेहरबान हो जाए
ये ज़मीं आसमान हो जाए
अब तो आ जा कि रात जाती है
एक आशिक़ की बात जाती है
खैर हो तेरी ज़िन्दगानी की
दे भी दे भीक मेहरबानी की
तुझ पे सौ जान से फ़िदा हैं हम
एक मुद्द्त के आशना हैं हम
फिर
आज क्यों हमसे पर्दा है