गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - किशोर कुमार | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - ज़बरदस्त | वर्ष - 1985
View in Romanजब चाहा यारा तुमने
आँखों से मारा तुमने
होठों से ज़िंदा कर दिया
अरे तुम्हारी मर्ज़ी पे चल रहे हैं, ख़ता हमारी क्या
चलो जी हम बुरे सही चलो जी हम झूठे हैं
मगर इसी निगाह से हज़ार दिल टूट हैं
अरे कसम से कहना हमारी सूरत नहीं है प्यारी क्या
समझ सको तो हमसफ़र हमें तुम अपना जानो
उधर नहीं इधर चलो, कभी तो कहना मानो
अरे लिपट के पूछो के आगे मर्ज़ी है अब हमारी क्या