बंद मुट्ठी में तूत के डाली से ये तो मेहंदी - The Indic Lyrics Database

बंद मुट्ठी में तूत के डाली से ये तो मेहंदी

गीतकार - समीर | गायक - सहगान, जसपिन्दर नरूला | संगीत - अनु मलिक | फ़िल्म - चोरी चोरी चुपके चुपके | वर्ष - 2000

View in Roman

आ बंद मुट्ठी में दिल को छुपाए बैठे हैं
है बहाना के मेहंदी लगाए बैठे हैं
मेहंदी हां हां मेहंदी हो
मेहंदी हां हां मेहंदी
टूट के डाली से हाथों पे बिखर जाती है मेहंदी
ये तो मेहंदी है मेहंदी तो रंग लाती हैलोग बागों से इसे तोड़ के लाते हैं
और पत्थर पे इसे शौक़ से पिसवाते हैं मेहंदी
फिर भी होंठों से इसके उफ़ तलक न आती है
ये तो मेहंदी है ...अपने रस रंग से इस दुनिया को सजाना है
काम मेहंदी का तो गैरों के काम आना है मेहंदी
अपनी खुश्बू से ये सहराओं को महकाती है
ये तो मेहंदी है ...