जब भी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग - The Indic Lyrics Database

जब भी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - दाग | वर्ष - 1973

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जब भी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग
याद रहता है किसे ग़ुज़रे ज़माने का चलन
सर्द पड जाती है चाहत, हार जाती है लगन
अब मोहब्बत भी है क्या, एक तिजारत के सिवा
हम ही नादां थे जो ओढा बीती यादों का कफ़न
वर्ना जीने के लिए सब कुछ भुला लेते हैं लोग
जाने वो क्या लोग थे जिन को वफ़ा का पास था
दुसरे के दिल पे क्या गुज़रेगी ये एहसास था
अब हैं पत्थर के सनम जिनको एहसास ना ग़म
वह ज़माना अब कहाँ जो अहले दिल को रास था
अब तो मतलब के लिए नाम-ए-वफ़ा लेते हैं लोग