लाखों तारे आसमां में, एक मगर ढूँढे ना मिला - The Indic Lyrics Database

लाखों तारे आसमां में, एक मगर ढूँढे ना मिला

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता - मुकेश | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - हरियाली और रास्ता | वर्ष - 1962

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लाखों तारे आसमां में, एक मगर ढूँढे ना मिला
देख के दुनिया की दिवाली, दिल मेरा चुपचाप जला
किस्मत का है नाम मगर, काम है ये दुनियावालों का
फूँक दिया है चमन हमारे ख़्वाबों और खयालों का
जी करता है खुद ही घोंट दें, अपने अरमानों का गला
सौ-सौ सदियों से लम्बी ये ग़म की रात नहीं ढलती
इस अंधियारें के आगे अब ऐ दिल एक नहीं चलती
हँसते ही लुट गई चाँदनी और उठते ही चाँद ढला
मौत है बेहतर इस हालत से, नाम है जिसका मजबूरी
कौन मुसाफ़िर तय कर पाया, दिल से दिल की ये दूरी
काँटों ही काँटों से गुज़रा, जो राही इस राह चला