निगाहों से हमें समाझा रहे हैं - The Indic Lyrics Database

निगाहों से हमें समाझा रहे हैं

गीतकार - जावेद कुरैशी | गायक - गुलाम अली | संगीत - गुलाम अली | फ़िल्म - जुनून (गैर फिल्म) | वर्ष - 1993

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निगाहों से हमें समझा रहे हैं
नवाज़िश है करम फ़रमा रहे हैंमैं जितना पास आना चाहता हूँ
वो उतना दूर होते जा रहे हैंमैं क्या कहता किसी से बीती बातें
वो ख़ुद ही दास्ताँ दोहरा रहे हैंफ़साना शौक़ का ऐसे सुना है
तबस्सुम ज़ेर-ए-लब फ़रमा रहे हैं