पैरों की बेड़ियाँ ख्वाबों को बाँधे नहीं रे - The Indic Lyrics Database

पैरों की बेड़ियाँ ख्वाबों को बाँधे नहीं रे

गीतकार - अमिताभ भट्टाचार्य | गायक - Nil | संगीत - अमित त्रिवेदी | फ़िल्म - उड़ान | वर्ष - 2010

View in Roman

पैरों की बेड़ियाँ ख्वाबों को बाँधे नहीं रे, कभी नहीं रे
मिट्टी की परतों को नन्हे से अंकुर भी चीरे, धीरे धीरे
इरादे हरे-भरे जिनके सीनो में घर करे
वो दिल की सुने, करे, ना डरे, ना डरे
सुबह की किरणों को रोकें जो सलाखें हैं कहाँ
जो ख़यालों पे पहरे डाले वो आँखें हैं कहाँ
पर खुलने की देरी है परिंदे उड़ के झूमेंगे
आसमां, आसमां, आसमां
आज़ादियाँ, आज़ादियाँ
मांगे ना कभी, मिले, मिले, मिले
आज़ादियाँ, आज़ादियाँ
जो छीने वही, जी ले, जी ले, जी ले
सुबह की किरणों को रोकें जो सलाखें हैं कहाँ
जो ख़यालों पे पहरे डाले वो आँखें हैं कहाँ
पर खुलने की देरी हैं परिंदे उड़ के झूमेंगे
आसमां, आसमां, आसमां
कहानी ख़त्म है या शुरूवात होने को है
सुबह नई है यह या फिर रात होने को है
आने वाला वक़्त देगा पनाहें
या फिर से मिलेंगे दोराहें
खबर क्या, क्या पता