गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - मुसाफिर | वर्ष - 1957
View in Romanहरि के गुण गा, मन रे, हरि के गुण गा
(उन संग प्रीत लगा) मन रे,
मन रे हरि के गुण गा
(जिन के जपे अहिल्या तर गई
भवसागर के पार उतर गई)
(तन मुख शीश झुका ) मन रे
मन रे हरि के गुण गा
(जिन के जपे अमर भई मीरा
नाम उजागर कर गई मीरा )
(लौ उनसे ही लगा) , मन रे
मन रे हरि के गुण गा
(कभी तो राम खबरिया लेंगे
तेरे भी दुख दूर करेंगे )
(दुख से मत घबरा) , मन रे
मन रे हरि के गुण गा