हवा कामोश है ना बाज़ आया मुक़द्दर मुजे मिटाने से - The Indic Lyrics Database

हवा कामोश है ना बाज़ आया मुक़द्दर मुजे मिटाने से

गीतकार - महेंद्र प्रणी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - बुलो सी रानी | फ़िल्म - सुनहरे कदमी | वर्ष - 1966

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हवा ख़ामोश है, और चुप हैं सितारे
सिसक कर सो गये हैं अरमां हमारे(न बाज़ आया मुक़द्दर मुझे मिटाने से)-२
(भरी बहार में हूँ दूर आशियाने से)-२
न बाज़ आया मुक़द्दर मुझे मिटाने सेक़ुसूर उनका, न मेरी कता, न दुनिया की, न दुनिया की
(मिट गई ख़ुद ही में, मिटने के इक बहाने से)-२
(न बाज़ आया मुक़द्दर मुझे मिटाने से)-२(बुझी ना प्यास मेरी)-२
(पी के देख ली हर शै)-२
(प्यासी ही लौट चली मैं भरे मैख़ाने से)-२
न बाज़ आया मुक़द्दर मुझे मिटाने से
भरी बहार में हूँ दूर आशियाने से
न बाज़ आया मुक़द्दर मुझे मिटाने से