भर भर आये अँखियाँ - The Indic Lyrics Database

भर भर आये अँखियाँ

गीतकार - भरत व्यास | गायक - लता, रफी | संगीत - कल्याणजी विरजी शाह | फ़िल्म - सम्राट चंद्रगुप्त | वर्ष - 1958

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भर भर आये अँखियाँ
हो मोरा छुप छुप रोये रे जिया
अपने ही हाथों आग लगाई
हाये मैने ये क्या किया
भर भर आये अँखियाँ

सोयी है दुनिया, कोई नही जागे
मैँ हूँ अकेली मेरा दिल नही लागे
सोयी है दुनिया, कोई नही जागे
मैँ हूँ अकेली मेरा दिल नही लागे
रैन डराये रे, चैन न आये रे
हाये मैने ये क्या किया
भर भर आये अँखियाँ
हो मोरा छुप छुप रोये रे जिया
अपने ही हाथोँ आग लगाई
हाये मैंने ये क्या किया
भर भर आये अँखियाँ

कभी है अँधेरा कभी है उजाला
क़िस्मत का है खेल निराला
कभी है अँधेरा कभी है उजाला
क़िस्मत का है खेल निराला
फूलोँ के बदले काँटों की माला
हाये तूने ये क्या किया

भर भर आये अँखियाँ
हो मोरा छुप छुप रोये रे जिया
अपने ही हाथों आग लगाई
हाये मैने ये क्या किया
भर भर आये अँखियाँ$