बुरों की जीत दुनिया में भगवान तुझे मैं खत लिखता - The Indic Lyrics Database

बुरों की जीत दुनिया में भगवान तुझे मैं खत लिखता

गीतकार - राजा मेहदी अली खान | गायक - चित्रगुप्त | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - मनचला | वर्ष - 1953

View in Roman

बुरों की जीत दुनिया में भलाई ठोकरें खाये
यहाँ क्या हो रहा मालिक ये कोई कैसे बतलाये( भगवान तुझे मैं ख़त लिखता
पर तेरा पता मालूम नहीं ) -२
रो-रो लिखता जग की बिपदा -२
पर तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं ख़त लिखता( तुझे बुरा लगे या भला लगे
तेरी दुनिया अपने को जमी नहीं ) -२
कुछ कहते हुये डर लगता है
यहाँ दुष्टों की कुछ कमी नहीं
मालिक
मालिक तुझे सब कुछ समझाता
पर तेरा पता
तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं ख़त लिखता
पर तेरा पता मालूम नहींमेरे सर पे दुखों की गठरी है -२
रातों को नहीं मैं सोता हूँ
कहीं जाग उठें न पड़ोसी इसलिये
ज़ोर से नहीं मैं रोता हूँ
तेरे सामने बैठ के मैं रोता
पर तेरा पता
तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं ख़त लिखता
पर तेरा पता मालूम नहींकुछ कहूँ तो दुनिया कहती है
आँसू न बहा बकवास न कर
बकवास न कर बकवास न कर
ऐसी दुनिया में मुझे रख के
मालिक मेरा सत्यानास न कर -२
तेरे पास मैं ख़ुद ही आ जाता
पर तेरा पता
तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं ख़त लिखता
पर तेरा पता मालूम नहीं