रात की दलदल है गढ़ी रे गढ़ी रे - The Indic Lyrics Database

रात की दलदल है गढ़ी रे गढ़ी रे

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - सुखविंदर सिंह | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - 1947 पृथ्वी | वर्ष - 1999

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रात की दलदल है गाढ़ी रे गाढ़ी रेधड़कन की चले कैसे गाड़ी रे गाड़ी रेसहमीं सहमीं हैं दिशाएं जैसे कुछ खोने को हैसाँस रोके हैं हवाएं जाने क्या होने को हैमौत छुपी झाड़ी-झाड़ी रे झाड़ी रेदिल के आँगन में हैं फैले साये कैसे ख़ौफ़ केरो रहे हैं यूँ अँधेरे काँप जाए जो सुनेडूबी समय की है नाड़ी रे नाड़ी रे