सांसों पुरुष कभी दिल में कभी - The Indic Lyrics Database

सांसों पुरुष कभी दिल में कभी

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - परछाइयां | वर्ष - 1972

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रफ़ी:
(साँसों में कभी दिल में कभी नज़रों में रहा करना
जग बैरी हो तो क्या तुम हम से वफ़ा करना)-२आशा:
(जाने प्यार निभाना दीवाने दिल की लगी के)-२
क्या है मोहब्बत ज़माना हम से ये सीखे
प्यार हमने किया प्यार हमको सदा करना
साँसों में कभी दिल में कभी नज़रों में रहा करना
जग बैरी हो तो क्या तुम हम से वफ़ा करनारफ़ी:
(आये ख़ुशियों का मौसम कि आये ग़म का महीना)-२
आशा:
तुम्हीं पे मरना तुम्हारे संग-संग है जीना
रफ़ी:
कभी होएँ ना जुदा बस इतनी दुआ करनासाँसों में कभी दिल में कभी नज़रों में रहा करना
आशा:
जग बैरी हो तो क्या तुम हम से वफ़ा करना
रफ़ी:
जग बैरी हो तो क्या
आशा:
तुम हम से वफ़ा करना