मन धीरे धीरे गाये रे - The Indic Lyrics Database

मन धीरे धीरे गाये रे

गीतकार - शकील | गायक - तलत, सुरैया | संगीत - गुलाम मोहम्मद | फ़िल्म - मालिक | वर्ष - 1958

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मन धीरे धीरे गाये रे
मालूम नहीं क्यों
बिन गाये रहा न जाये रे
मालूम नहीं क्यों
पलकों में छुपा कर गोरी
लाई है मिलन की डोरी
अब साथ है जीवन भर का
लो थाम लो बैंया मोरी
इक बात ज़ुबाँ पर आये रे
मालूम नहीं क्यों
आशाओं ने ली अंगड़ाई
तन मन में बजी शहनाई
दिल डूब गया मस्ती में
इक लहर खुशी की छाई
दिल हाथ से निकला जाये रे
मालूम नहीं क्यों