आ रह है मज़ा तेरी बनहोन में - The Indic Lyrics Database

आ रह है मज़ा तेरी बनहोन में

गीतकार - समीर | गायक - कुमार शानू, अलका याज्ञनिक | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - सपने साजन के | वर्ष - 1992

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आ रहा है मज़ा तेरी बाहों में
आ रहा है नशा तेरी निगाहों में
आ रहा है मज़ा ...मेरी आरज़ू भी तुम हो मेरी ज़िंदगी भी तुम हो
जान-ए-जां सुनो ज़रा मेरे दिल की सदा
आ रहा है मज़ा ...कभी जलन कभी चुभन बुझती नहीं साँसों की अगन
ज़रा पास आ जाएगा मुझे चैन आ जाएगा
आ रहा है मज़ा ...जवां जवां ये हसीं समां जाने कैसी ये प्यास जगी
क्या बेबसी क्या बेखुदी सारे तन में आग लगी
ये प्यार और कितना तड़पाएगा
आ रहा है मज़ा ...