चिट्ठी - The Indic Lyrics Database

चिट्ठी

गीतकार - वरुण ग्रोवर | गायक - याज़ीन निज़र | संगीत - विशाल चांड्रज़ेकर | फ़िल्म - सीता रामम | वर्ष - 2022

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चिट्ठी है या कोई दिल है ये
लफ़्ज़ों में धड़के है क्यू सिया ये
चिट्ठी नही बादल है ये
लिपटी है मुझसे ये आसमा से

इन सोंधे से पन्नो में
मेरी सारी कमाई है
उड़ता हूँ काग़ज़ के कतरों सा
जब से हाँ तू आई है

बरखा मिलती प्यासे को
हाँ ऐसे तू मिली जाना
जाने जैसे आती तू भी
बिन बुलाए चले आना

बरखा मिलती प्यासे को
हाँ ऐसे तू मिली जाना
जाने जैसे आती तू भी
बिन बुलाए चले आना

बरखा मिलती प्यासे को
हाँ ऐसे तू मिली जाना
जाने जैसे आती तू भी
बिन बुलाए चले आना

बातों में बातें है उलझी हुई
पढ़ के मैं सुलझा जा रहा
शब्दों से जोड़ा है चेहरा तेरा
चेहरे में घुलता जा रहा

तुझे लिया हाथों में
चला जा रहा हूँ में
गिनता हूँ तारों को फूलो को
खत में जो छुपके आए है

बरखा मिलती प्यासे को
हाँ ऐसे तू मिली जाना
जाने जैसे आती तू भी
बिन बुलाए चले आना

बरखा मिलती प्यासे को
हाँ ऐसे तू मिली जाना
जाने जैसे आती तू भी
बिन बुलाए चले आना