नील गगन की छाँव में दिन रैन गले से मिलते हैं - The Indic Lyrics Database

नील गगन की छाँव में दिन रैन गले से मिलते हैं

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - आम्रपाली | वर्ष - 1966

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नील गगन की छाँव में दिन रैन गले से मिलते हैं
दिल पंछी बन उड़ जाता है, हम खोये खोये रहते हैं
जब फूल कोई मुस्काता है, प्रीतम की सुगंध आ जाती है
नस नस में भँवर सा चलता है, मदमाती जलन कलपाती है
यादों की नदी घिर आती है, हर मौज में हम तो बहते हैं
कहता है समय का उजीयारा एक चन्द्र भी आनेवाला है
इन ज्योत की प्यासी अखियन को अंखियों से पिलानेवाला है
जब पात हवा से बजते हैं, हम चौंक के राहें तकते हैं