जिंदगी सिगरेट का धुआं - The Indic Lyrics Database

जिंदगी सिगरेट का धुआं

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - भूपिंदर | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - | वर्ष - 1974

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ज़िंदगी cigaretteका धुआँ
ये धुआँ जाता है कहाँ
या कहीं जाता नहीं
ये सोचो, न सोचो मेरी जाँदिल को अपने तू छोटा न करना
ये कली दिल की फिर से खिलेगी
छिन गई है जो शक्ति बदन की
वही शक्ति तुझे फिर मिलेगी
तेरे पाँव को चूमेगी पर्बत की सब चोटियाँ, सब चोटियाँफिर से दौड़ेगा चलने लगेगा
लहू तन में मचलने लगेगा
दिल पे छाया है जो ये अँधेरा
ये अँधेरा भी ढलने लगेगा
तुझे चाँद पे चलते देखेगा सारा जहाँ, सारा जहाँ