मन भावन के घर जाए गोरी - The Indic Lyrics Database

मन भावन के घर जाए गोरी

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता, आशा | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - चोरी चोरी | वर्ष - 1956

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मन भावन के घर जाए गोरी
घूँघट में शरमाए गोरी
बंधी रहे ये प्यार की डोरी
हमें ना भुलाना -
) बचपन के दिन खेल गंवाए
आई जवानी तो बालम आए
तेरे आंगन बंधे बधाई गोरी
क्यों नैना छलकाए गोरी
बंधी रहे ये प्यार की डोरी...
2) इस दुनिया की रीत यही है
हाथ जो थामे मीत वही है
अब हम तो हुए पराए गोरी
फिर तेरे संग जाए गोरी, बंधी रहे
3) मस्ती भरे सावन के झूले
तुझको कसम है जो तू भूले
अब के जब वापस आए गोरी
गोद भरी ले आए गोरी, बंधी रहे