लाखों हैं निगाहों में ज़िन्दगी की राह में सनम हसीन जवां - The Indic Lyrics Database

लाखों हैं निगाहों में ज़िन्दगी की राह में सनम हसीन जवां

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - फिर वही दिल लाया हूं | वर्ष - 1963

View in Roman

लाखों हैं निगाहों में, ज़िन्दगी की राह में, सनम हसीन जवां
होठों में गुलाब है, आँखों में शराब है, लेकिन वो बात कहाँ?
लट है किसी की जादू का जाल, रंग डाले दिल पे किसीका जमाल
तोबा ये निगाहें, के रोकती हैं राहें, देखो ले लेके तीर कमान
जानू ना दीवाना मैं दिलका, कौन है ख़यालों की मलिका
भीगी भीगी रुत की छाँव तले, मान लो कही वो आन मिले
कैसे पहचानू, के नाम नहीं जानू, जिसे ढूँढे मेरे अरमान
कभी कभी वो एक माहजबीं, डोलती है दिल के पास कहीं
हैं जो यही बातें, तो होंगी मुलाक़ातें, कभी यहाँ नहीं तो वहाँ