अखिल हैं ये अपनि अदा पर मैं हुं फिदा - The Indic Lyrics Database

अखिल हैं ये अपनि अदा पर मैं हुं फिदा

गीतकार - पी एल संतोषी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - शिवराम कृष्ण | फ़िल्म - तीन बत्ती चार रास्ता | वर्ष - 1953

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अखियाँ हैं ये रूप की प्यासी
दिल को ढूँढ रहा है दिल
रूप तो बिखरा है दुनिया में
दिल का मिलना है मुश्किलअपनी अदा पर मैं हूँ फ़िदा
कोई चाहे न चाहे
कोई चाहे न चाहे मेरी बला
अपने ही दिल से दिल है लगा
कोई चाहे न चाहे
कोई चाहे न चाहे मेरी बलाचाँद पे मर कर हाय चकोरा -२
आँखें अपनी फोड़ रहा

रूप का दीवाना परवाना
आग से नाता जोड़ रहा
हुस्न पे मरने वाला आख़िर
कोई मरा और कोई जला
कोई मरा कोई जलाअपनी अदा पर मैं हूँ फ़िदा
कोई चाहे न चाहे
कोई चाहे न चाहे मेरी बला
हो ओ ओऽदिल तो है मासूम सभी का -२
धोखा देती हैं आँखें
हो
फूल के धोखे में काँटों से
तितली की उलझी पाँहें -२
हो ओ ओऽ
तितली की उलझी पाँहें
रूप तो है क़ुदरत का जादू -२
जिसने देखा और उसपे चला
जिसने देखा उस पे चलाअपनी अदा पर मैं हूँ फ़िदा
कोई चाहे न चाहे
कोई चाहे न चाहे मेरी बला
हो ओ ओऽ
अपने ही दिल से दिल है लगा
कोई चाहे न चाहे
कोई चाहे न चाहे मेरी बला