लाख छुपाओ छुप ना सकेगा - The Indic Lyrics Database

लाख छुपाओ छुप ना सकेगा

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - असली नक़्ली | वर्ष - 1962

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लाख छुपाओ, छुप ना सकेगा, राज़ हो कितना गहरा
दिल की बात बता देता है असली नकली चेहरा
फूल में खुशबू, दिल में चाहत, कभी न छुपने पाई है
आँख से झलकी बन कर सुर्खी जब जब आग दबाई है
जजबातों पर लग नहीं सकता ख़ामोशी का पहरा
दिल की बात ...
लोग तो दिल को खुश रखने को क्या क्या ढोंग रचाते हैं
भेस बदल कर इस दुनिया में बहरूपे बन जाते हैं
मन दर्पन में मुखड़ा देखो, उतरा रंग सुनहरा
दिल की बात ...
अब ना हम को और बनाओ, हमने तो पहचान लिया
सागर से भी गहरे निकले, हमने तुमको जान लिया
जिसके मन में चोर छूपा हो, सामने कब वो ठहरा
दिल की बात ...