लगी आज सावन की फिर वो झडी है - The Indic Lyrics Database

लगी आज सावन की फिर वो झडी है

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - सुरेश वाडकर - अनुपमा देशपांडे | संगीत - शिव हरी | फ़िल्म - चांदनी | वर्ष - 1989

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लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
वही आग सीने में फिर जल पड़ी है
कुछ ऐसे ही दिन थे वो जब हम मिले थे
चमन में नहीं फूल दिल में खिले थे
वही तो है मौसम मगर रुत नहीं वो
मेरे साथ बरसात भी रो पड़ी है
कोई काश दिल पे ज़रा हाथ रख दे
मेरे दिल के टुकड़ों को एक साथ रख दे
मगर ये है ख़्वाबों खयालों की बातें
कभी टूट कर चीज़ कोई जुडी है