हमसे तो जितनी निभ सकी - The Indic Lyrics Database

हमसे तो जितनी निभ सकी

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - रफी, महिला आवाज | संगीत - सरदुल क्वात्र | फ़िल्म - मिर्जा साहिबान | वर्ष - 1957

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रफ़ी:
हमसे तो जितनी निभ सकी, हम तो निभा चले
तुम ख़ुश रहो सदा, येही कर के दुआ चले

छोड़ के तेरी दुनिया, ले हम जा रहे हैं2
इश्क़ में होता है यूंही, दिल को स्मझा रहे हैं
छोड़ के तेरी दुनियाथ्री दोत्स

फ़ेमले वोइcए:
मिर्ज़ेयाआआ, बेलियाआआ, हो न जा, हो, हो न जा

रफ़ी:
हाये री क़िस्मत की मज्बूरी
सहनी पड़ी है हम्को ये दूरी
तेरा फ़साना पूरा हुआ ना
मेरी कहानी रह गयी अधूरी
तेरी ख़ता है न मेरी ख़ता है
फिर भी सज़ा पा रहे हैं
दिल क्यूं लगाया किसी से
आज पछता रहे हैं
छोड़ के तेरी दुनियाथ्री दोत्स

मेरी दुनिया में दिन भी अंधेरे हुये
ग़म थे जितए जहां के वोह मेरे हुये
इक तेरा नाम है और तेरी याद है
सारी दुनिया है मु‌्‌ हम्से फेरे हुये
सारी दुनिया है मुंह हम्से फेरे हुये
चलते हैं जो तीर दिल पे, सहे जा रहे हैं
छोड़ के तेरी दुनिया ले हम जा रहे हैं
ले हम जा रहे हैं
ले हम जा रहे हैं
ले हम जा रहे हैं

फ़ेमले वोइcए:
मिर्ज़ेया, बेलिया, हो न जा, हो, हो न जा$