हमसे न दिल को लगाना मुसाफ़िर - The Indic Lyrics Database

हमसे न दिल को लगाना मुसाफ़िर

गीतकार - भरत व्यास | गायक - शमशाद, मदन मोहन | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - आँखे | वर्ष - 1950

View in Roman

श: हमसे न दिल को लगाना मुसाफ़िर
हमसे न नज़रें मिलाना जी
अपना मुहल्ला जाओगे भूल बाबू
हमरी गली नहीं आना जी

म: नौ रुपये का hat खरीदा
और पन्द्रह की neck tie
प्यार का सौदा करने आये
सुन ले कोकू बाई
श: तिरछी नज़र से देखा तुम्हें
बल खा के जो ली अंगड़ाईइ
तो hat गिरेगा पाँवों में जा
ढीली हो जायेगी nech tie
काहे को तुम अपने दिल को बनाते
हमरी नज़र का निशाना जी

अपना मुहल्ला जाओगे भूल बाबू
हमरी गली नहीं आना जी

म: गोरा मुखड़ा चाँद सा
घूँघटवा की ओट
एक झलक हम देख के कुक्कू
घर जायेंगे लौट
श: गोरे-गोरे मुखड़े से घूँघट हता के
हमने किया जो इशारा
तो दौड़ेगी झन-झन बिजली बदन में
दिन ही में दीखेगा तारा
काहे को ऐसा धंधा करो जो
पीछे पड़े पछताना जी

अपना मुहल्ला जाओगे भूल बाबू
हमरी गली नहीं आना जी

हमसे न दिल को लगाना मुसाफ़िर
हमसे न नज़रें मिलाना जी
अपना मुहल्ला जाओगे भूल बाबू
हमरी गली नहीं आना जी$