लबों से चूम लो आँखों से थाम लो मुझको - The Indic Lyrics Database

लबों से चूम लो आँखों से थाम लो मुझको

गीतकार - गुलजार | गायक - श्रीराधा बॅनर्जी | संगीत - सारंग देव | फ़िल्म - आस्था | वर्ष - 1997

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लबों से चूम लो आँखों से थाम लो मुझको
तुम्ही से जन्मूँ तो शायद मुझे पनाह मिले
दो सौंधे सौंधे से जिस्म जिस वक़्त
एक मुट्ठी में सो रहे थे
बता तो उस वक़्त मैं कहाँ था
बता तो उस वक़्त तू कहाँ थी
मैं आरज़ू की तपिश में पिघल रही थी कहीं
तुम्हारे जिस्म से होकर निकल रही थी कहीं
बड़े हसीन थे जो राह में गुनाह मिले
तुम्ही से जन्मूँ तो शायद मुझे पनाह मिले
तुम्हारी लौ को पकड़ के जलने की आरज़ू में
जब अपने ही आपसे लिपटके सुलग रहा था
बता तो उस वक़्त मैं कहाँ था
बता तो उस वक़्त तू कहाँ थी
तुम्हारी आँखों के साहिल से दूर दूर कहीं
मैं ढूँढती थी मिले खुशबुओं का नूर कहीं
वहीं रुकी हूँ जहाँ से तुम्हारी राह मिले
तुम्ही से जन्मूँ तो शायद मुझे पनाह मिले