भोर भे नित सूरज उगे कबार मोरी ना लिनि रे - The Indic Lyrics Database

भोर भे नित सूरज उगे कबार मोरी ना लिनि रे

गीतकार - भरत व्यास | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - संत ज्ञानेश्वर | वर्ष - 1964

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भोर भए नित सूरज उगे साँझ पड़े ढल जाए
ऐसे ही मोरी आस बँधे बँध-बँध कर मिट जाएख़बर मोरी ना लीनी रे बहुत दिन बीते
बीते रे बहुत दिन बीतेगोकुल की ये गलियाँ रोएँ
मधुबन की ये कलियाँ रोएँ
यमुना रोए राधा रोए
रसवंती रंगरलियाँ रोएँ
मोरे श्याम
हाय रोए-रोए मेरे दो नैना भए रीते
बहुत दिन बीते ...सपने में तो दरस दिखा दे कुछ धीरज बँध जाए -२
सपना भी तो किस विधि आए जब निंदिया नहीं आए
मोरे श्याम
हाय रोए-रोए मेरे दो नैना भए रीते
बहुत दिन बीते ...