तू मेरे सामने है तेरी ज़ुल्फ़ेन हैं खुलि - The Indic Lyrics Database

तू मेरे सामने है तेरी ज़ुल्फ़ेन हैं खुलि

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - सुहागन | वर्ष - 1964

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(तू मेरे सामने है
तेरी ज़ुल्फ़ें हैं खुली
तेरा आँचल है ढला
मैं भले होश में कैसे रहूँ)-२तू मेरे सामने है ...तेरी आँखें तो छलकते हुए पैमाने हैं
और तेरे होंठ लरजते हुए मैखाने हैं
मैं भला होश में कैसे रहूँ, कैसे रहूँ
तू मेरे सामने है ...तू जो हँसती है तो बिजली सी चमक जाती है
तेरी साँसों से ग़ुलाबों की महक आती है
तू जो चलती है तो कुदरत भी बहक जाती है
मैं भला होश में कैसे रहूँ, कैसे रहूँ
तू मेरे सामने है ...