इक गरम चाय की प्यालि हो तर रम पम पम - The Indic Lyrics Database

इक गरम चाय की प्यालि हो तर रम पम पम

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - सहगान, फाल्गुनी पाठक | संगीत - राजेश रोशन | फ़िल्म - ना तुम जानो ना हम | वर्ष - 2002

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एक गरम चाय की प्याली हो, कोई उसको पिलाने वाली हो
चाहे गोरी हो या काली हो, सीने से लगाने वाली हो
मिल जाये तो मिट जाये हर गम, तारारमपमपम

सुबह सुबह मैं निकलूँ घर से चूम के उसकी आँखें
हर लम्हां बस याद करूँ उसकी चाहत की बातें
उसके लिए हो जीना मरना, और भला क्या मुझको करना
मेरे लिए खुशहाली हो, उसके बिना सब खाली हो
चाहे गोरी हो या काली हो...

रात को जब मैं वापस आऊँ वो दरवाज़ा खोले
लेके मुझको बाँहों में लव यू डार्लिंग बोले
सज के मेरे सामने आये, सारे दिन की थकन मिटाए
उसकी अदा निराली हो, वो मेरी घरवाली हो
चाहे गोरी हो या काली हो...