मजबूर-ए-मुहब्बत ने फिर हमको पुकारा है - The Indic Lyrics Database

मजबूर-ए-मुहब्बत ने फिर हमको पुकारा है

गीतकार - विश्वामित्र आदिली | गायक - लता | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - आवाज़ | वर्ष - 1956

View in Roman

मजबूर-ए-मुहब्बत ने फिर हमको पुकारा है
मिलने की तमन्ना है, जीने का सहारा है
दिन बहार के, ऐतबार के, जीत हार के, आये हैं
मजबूर-ए-मुहब्बत ने फिर हमको पुकारा है
दिल को बड़ी दुशवारियाँ हैं
कैसी तेरी दिलदारियाँ हैं
उलफ़त है ये, कोइ खेल नहीं
इस में बड़ी लाचारियाँ है
मजबूर-ए-मुहब्बत
दिल ही वो क्या जिसे प्यार न हो
हुस्न से जो लाचार न हो
ऐसी लगन किस काम की है
जिस में किसी की हार न हो
मजबूर-ए-मुहब्बत