नज़्म उलझी हुई है सीने में - The Indic Lyrics Database

नज़्म उलझी हुई है सीने में

गीतकार - गुलजार | गायक - भूपिंदर | संगीत - भूपिंदर | फ़िल्म - वो जो शायर था | वर्ष - Nil

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नज़्म उलझी हुई है सीने में
मिसरे अटके हुए हैं होंठो पर
उड़ते फिरते हैं तितलियों की तरह
लफ्ज़ कागज़ पे बैठते ही नहीं
नज़्म उलझी हुई है सीने में
कब से बैठा हुआ हूँ मैं जानम
सादा कागज़ पे लिख के नाम तेरा
बस तेरा नाम ही मुकम्मिल है
इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी