डूबी डूबी - The Indic Lyrics Database

डूबी डूबी

गीतकार - महबूब | गायक - अंतरा नंदी | संगीत - ए.आर. रहमान | फ़िल्म - पीएस-1 (पोन्नियिन सेल्वन: I) | वर्ष - 2022

Song link

View in Roman

डूबी डूबी हुई सीप की
बाहों में बूँदें
बनती हैं मोती

कारी कारी माटी
के दीप की बाहों में
रंगी है ज्योति

अक्सर नैना भी तो
कहानी कई बोले
रात की आहट पे तो
चंदा छम छम डोले

प्रीत की है ये भेद सारे
समझो तो समझो
बातों बातों में ये इशारे
समझो तो समझो

डूबी डूबी हुई सीप की
बाहों में बूँदें बनती हैं मोती

कण कण मिलके जैसे पर्वत बन जाए
तिनकों से बसेरा
पल पल से समाना शब्दों से तराना
यूँ भी आता है वक़्त कभी
के मिलती हैं आँसू से भी हँसी

और हम जी जाते हैं एक एक पल में
मीठी मीठी कई कई सदीयाँ सी
समझो तो

डूबी डूबी हुई सीप की
बाहों में बूँदें बनती हैं मोती

गुमसूम हवाओं कुछ तो कहो
सागर की मौजों शोर करो
नमकीन हवाओं में शक्कर घोली
आँखों से जब ये आँखें मिली

यूँ ही चले ये सफ़र सातों ही सागर
दो ही हो मुसाफिर सातों जनम तक
ए काश हो जाए कुछ ऐसा भी

डूबी डूबी हुई सीप की
बाहों में बूँदें बनती हैं मोती

कारी कारी माटी
के दीप की बाहों में
रंगी है ज्योति

अक्सर नैना भी तो
कहानी कई बोले
रात की आहत पे तो
चंदा छम छम डोले

प्रीत के है ये भेद सारे
समझो तो समझो
बातों बातों में ये इशारे
समझो तो समझो