मैं यौवन बन की कली - The Indic Lyrics Database

मैं यौवन बन की कली

गीतकार - पं. नरेंद्र शर्मा | गायक - लता | संगीत - सुधीर फड़के | फ़िल्म - मालती माधव | वर्ष - 1951

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ओ ओऽ
मैं यौवन बन की कली, ओ ओ
मुझे कली से फूल बना दे
प्रीती पवन बहा चली, ओ ओऽ
मैं यौवन बन की कली
उलझ उलझ जाता क्यों अचला
???????
चुपके से आके अनजाने
मुख पर लाली मली
मैं यौवन बन की
पूछ रहे पंछी कित जाती
किसके हित अरमान बनाती
कैसे कह दूँ मैं
प्रिया से मिलने निकली
मैं यौवन बन की
जब मैं उनकी हो जाऊँगी
धन आनंद में खो जाऊँगी
लुक छुप खेलूँगी बदली में
बन बन के बिजली
मैं यौवन बन की