निंद कभी रहती थी आंखों में - The Indic Lyrics Database

निंद कभी रहती थी आंखों में

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - आसरा | वर्ष - 1966

View in Roman

नींद कभी रहती थी आँखों में अब रहते हैं साँवरिया
चैन कभी रहता था इस दिल में अब रहते हैं साँवरियालोग मुझसे कहें देखो उधर निकला है चाँद
कौन देखे उधर जाने किधर निकला है चाँद
चाँद कभी रहता था नज़रों में अब रहते हैं साँवरिया
नींद कभी रहती थी ...झूठ बोली पवन कहने लगी आई बहार
हम बाग़ में गए देखा वहाँ प्यार ही प्यार
फूल रहते होंगे चमन में कभी अब रहते हैं साँवरिया
नींद कभी रहती थी ...बात पहले भी और तूफ़ान से डरते थे हम
बात अब और है अब है हमें काहे का ग़म
साथ कभी माँझी था संग लेकिन अब रहते हैं साँवरिया
नींद कभी रहती थी ...