मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ - The Indic Lyrics Database

मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ

गीतकार - अंजुम जयपुरी | गायक - तलत | संगीत - बिपिन-बाबुल | फ़िल्म - सलाम-ए-मोहब्बत | वर्ष - 1950

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मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ
तेरे रुतबे की तौहीन है ये
तेरा हुस्न हमेशा क़ायम है
दम भर के लिये रंगीन है ये
ये आँख अगर उठ जाये
तो हर एक सितारा सजदा करे
आ जाये कहीं होंठों पर हँसी
बिजली भी तड़प कर आह भरे
मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ
ये ज़ुल्फ़ अगर खुल जाये तो
रातों की जवानी शरमाये
रफ़्तार का आलम क्या कहिये
बहता हुआ दरिया थम जाये
मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ
दिन रात महकते रहने की
कलियों ने अदा तुझ से पाई
ये चाँद जो घटता बढ़ाता है
दरस्ल है तेरी अंगड़ाई
मैं तुझ को अगर इक फूल कहूँ