जो कवाब सजा है पलकों में - The Indic Lyrics Database

जो कवाब सजा है पलकों में

गीतकार - नक्श लायलपुरी | गायक - उषा मंगेशकर | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - जियो और जीने दो | वर्ष - 1969

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जो ख़्वाब सजा है पलकों में
वो ख़्वाब हक़ीक़त बन जाए
ये दर्द जो दिल में जागा है
ऐ काश मोहब्बत बन जाएजाने क्या सोचकर शोख़ होती गईं
मेरी मासूम अँगड़ाइयाँ
आईने की नज़र से मिलाकर नज़र
गीत गाती हैं तन्हाइयाँ -२
ये दर्द जो दिल में जागा है ...चाँदनी रात में नाचता हूँ मगर
नींद आँखों में घुलती नहीं
सो रहूँ तो किसी के जगाये बिना
मेरी अब आँख खुलती नहीं -२
ये दर्द जो दिल में जागा है ...