नमक इस्क का - The Indic Lyrics Database

नमक इस्क का

गीतकार - गुलजार | गायक - रेखा भारद्वाज | संगीत - विशाल भारद्वाज | फ़िल्म - ओमकारा | वर्ष - 2006

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मैं चाँद निगल गयी
हो जी मैं चाँद निगल गयी दैय्या रे
भीतर भीतर आग जले
बात करूं तो सेंक लगे
मैं चाँद निगल गई दैय्या रे
अंग पे ऐसे छाले पड़े
तेज़ था छौंका का करूँ
सीसी करती मैं मरूँ
जबाँ पे लागा लगा रे
नमक इस्क का तेरे इस्क का
बलम से माँगा माँगा रे
बलम से माँगा रे
बलम से माँगा माँगा रे
नमक इस्क का
सभी छेड़े हैं मुझको
सिपहिये बाँके छमिये
उधारी देने लगे हैं
गली के बनिये वनिये
कोई तो कौड़ी तू भी लुटा दे
थोड़ी थोड़ी शहद चटा दे
तेज़ था तड़का का करूँ
सी-सी करती मैं मरुँ
रात भर छाना रे
रात भर छाना छाना रे
नमक इस्क का
ऐसी फूँक लगी जालिम की
कि बांसुरी जैसी बाजी मैं
अरे जो भी कहा उस चन्द्रभान ने
फट से हो गयी राजी मैं
कभी अँखियों से पीना
कभी होंठों से पीना
कभी अच्छा लगे मरना
कभी मुस्किल लगे जीना
करवट-करवट प्यास लगी थी
अजी बलम की आहट पास लगी थी
तेज़ था छौंका का करूँ
सी-सी करती मैं मरुँ
डली भर डाला जी डाला जी
डाला जी डाला जी रे
डली भर डाला डाला रे
नमक इस्क का