हम है माता ए कूचा ओ बाजार की तराहो - The Indic Lyrics Database

हम है माता ए कूचा ओ बाजार की तराहो

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - दस्तक | वर्ष - 1970

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हम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह
उठती है हर निगाह खरीदार की तरहवो तो कहीं हैं और मगर दिल के आस पास
मगर दिल के आस पास
फिरती है कोई शह निगाह-ए-यार की तरह
हम हैं ...मजरूह लिख रहे हैं वो अहल-ए-वफ़ा का नाम
अहल-ए-वफ़ा का नाम
हम भी खड़े हुए हैं गुनहगार की तरह
हम हैं ...इस कू-ए-तिश्नगी में बहुत है के एक जाम
हाथ आ गया है दौलत-ए-बेदार की तरहसीधी है राह-ए-शौक़ पर यूँ ही कभी कभी
ख़म हो गई है गेसू-ए-दिलदार की तरहअब जा के कुछ खुला हुनर-ए-नाखून-ए-जुनून
ज़ख़्म-ए-जिगर हुए लब-ओ-रुख़्सार की तरह