ये ना थी हमारी किसामत की विसाल ए यार होता - The Indic Lyrics Database

ये ना थी हमारी किसामत की विसाल ए यार होता

गीतकार - ग़ालिब | गायक - नूरजहाँ, सलीम रज़ा | संगीत - तस्दक हुसैन | फ़िल्म - ग़ालिब (पाकिस्तानी-फ़िल्म) | वर्ष - 1961

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स : ये न थी हमारी क़िसमत कि विसाल-ए-यार होता
नू : अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता
ये न थी हमारी क़िसमतकोई मेरे दिल से पूछे
कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को
तीर-ए-नीम-कश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता
ये न थी हमारी क़िसमतस : येह कहाँ की दोस्ती है के बने हैं दोस्त नासेह
के बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता
ये न थी हमारी क़िसमतनू : कहूँ किससे मैं के क्या है
कहूँ किससे मैं के क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है
शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता
ये न थी हमारी क़िसमत कि विसाल-ए-यार होता