इन मस्त निगाहों से मुझको ना पिला देना - The Indic Lyrics Database

इन मस्त निगाहों से मुझको ना पिला देना

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - उदित नारायण, सुनिधि चौहान, अमरीश पुरी | संगीत - उत्तम सिंह | फ़िल्म - द हीरो | वर्ष - 2003

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उ : हो ओ ओ ओ ओ हो
इन मस्त निगाहों से मुझको ना पिला देना -२
तुम एक मुसलमाँ को क़ाफ़िर ना बना देना
सु : हो हो हो हो
मोहब्बत में निगाहों से ओ हो
मोहब्बत में निगाहों से ज़ुबाँ का काम लेते हो
किसी की बात करते हो किसी का नाम लेते होउ : शहंशा हो कि मलिका हो सलामी हम नहीं करते -२
हसीना हो के बोतल हो
हो ओ ओ ओ हसीना हो के बोतल हो ग़ुलामी हम नहीं करते
अ : ऐ हुज़ूर जो कहना है कहो खुल के
मैने कहा
जो कहना है कहो खुल के बहाने क्यूँ बनाते हो
हसीनों की गली में तुम भी अपना सर झुकाते होउ : सर जिस पे ना झुक जाएँ
अब मैं जो कहने जा रहा हूँ
ना किसी ने कहा है ना किसी ने सुना है
मुलाहिज़ा फ़रमाएँ हुज़ूर
को : इरशाद -३उ : सर जिस पे ना झुक जाएँ उसे दर नहीं कहते -२
हर दर पे जो झुक जाए
हो ओ ओ ओ हर दर पे जो झुक जाए उसे सर नहीं कहते
सर जिस पे ना झुक जाएँ उसे दर नहीं कहतेओ साहिब देख कर हमको हँसी क्यूँ आ गई तुमको -२
हमारा नाम हीरो है
हो ओ ओ ओ हमारा नाम हीरो है हमें जोकर नहीं कहते
सु : हो सर जिस पे ना झुक जाएँ उसे दर नहीं कहतेउ : हो ( वो और हैं पीते ही खुल जाते हैं मुँह जिनके ) -२
पी जाते हैं हम सब कुछ
ओ ओ ओ ओ पी जाते हैं हम सब कुछ कुछ पी कर नहीं कहते
सर जिस पे ना झुक जाएँ उसे दर नहीं कहते
सु : हो सर जिस पे ना झुक जाएँ उसे दर नहीं कहते
उ : हर दर पे जो झुक जाए उसे सर नहीं कहते
सु : सर जिस पे ना झुक जाएँ उसे दर नहीं कहतेउ : इन मस्त निगाहों से मुझको ना पिला देना
सु : इन मस्त निगाहों से मुझको ना पिला देना
उ : तुम एक मुसलमाँ को क़ाफ़िर ना बना देना
को : सर जिस पे ना झुक जाएँ उसे दर नहीं कहते -२
हर दर पे जो झुक जाए उसे सर नहीं कहते
सर जिस पे ना झुक जाएँ उसे दर नहीं कहते -२
ल ल ला ल ला ला ल ल ला