उदासी किसी काब में धाली तो हैं - The Indic Lyrics Database

उदासी किसी काब में धाली तो हैं

गीतकार - कतील शिफाई | गायक - गुलाम अली | संगीत - गुलाम अली | फ़िल्म - महताब (गैर फिल्म) | वर्ष - 1992

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उदास शाम किसी ख़ाब में ढली तो है
यही बहुत है के ताज़ा हवा चली तो हैजो अपनी शाख़ से बाहर अभी नहीं आई
नई बहार की ज़ामिन वही कली तो हैधुवाँ तो झूठ नहीं बोलता कभी यारो
हमारे शहर में बस्ती कोई जली तो हैकिसी के इश्क़ में हम जान से गये लेकिन
हमारे नाम से रस्म-ए-वफ़ा चली तो हैहज़ार बन्द हों दैर-ओ-हरम के दरवाज़े
मेरे लिये मेरे महबूब की गली तो है