संभल के करण जो भी करण: - The Indic Lyrics Database

संभल के करण जो भी करण:

गीतकार - शैलेंद्र सिंह | गायक - मुकेश | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - एक फूल चार कांटे | वर्ष - 1960

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स.म्भल के करना जो भी करना नाज़ुक हाथों वाले
लचक न जाए नरम कलाई पड़ न जाएँ छाले
स.म्भल के करना ...हटा के परदे निकल पड़े हो
मुक़ाबला क्या तुम ही बड़े हो
मगर ऐ जानां इधर तो देखो हम भी हैं दिलवाले -२
स.म्भल के करना ...सलोनी चितवन अदाएँ क़ातिल
वो लुट गया जो हुआ मुक़ाबिल
ये तिरछी-तिरछी नज़र तुम्हारी हमको मार न डाले -२
लचक न जाए ...तने हैं तेवर चढ़ा है पारा
तुम्हारा ग़ुस्सा भी जाँ से प्यारा
रूप का जादू जब चढ़ जाए दिल को कौन स.म्भाले -२
स.म्भल के करना ...