इस पंच मन के जिस्म से दिल हो गया शांति फ्लैट - The Indic Lyrics Database

इस पंच मन के जिस्म से दिल हो गया शांति फ्लैट

गीतकार - नाजिम पानीपति | गायक - किशोर कुमार | संगीत - रोशन | फ़िल्म - शीशम | वर्ष - 1952

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इस पाँच मन के जिस्म से क्या फ़ायदा हमें
अरे पहलू में ले के बैठे हैं हैं हैं दिल दो छटाक कादिल हो गया शन्टी फ़्लैट
या रब्बा ख़ैर हो दुरकिट-ए-मू हो दुरकिट-ए-मू
हो किया यार ने अन्टी फ़्लैट
या रब्बा ख़ैर हो दुरकिट-ए-मू हो दुरकिट-ए-मूचला जब नज़र का चाकू
हुआ दिल छम छमाकू
मैं हो गया आकू बाकू
हो मेरी हो गई ढिबरी टैट
या रब्बा ख़ैर हो दुरकिट-ए-मू हो दुरकिट-ए-मू
दिल हो गया शन्टी फ़्लैट
या रब्बा ख़ैर हो दुरकिट-ए-मू हो दुरकिट-ए-मूऐसे उस यार ने ताड़ा
चला दिल पे कुल्हाड़ा
कुल्हाड़ा
कुल्हाड़ा
ये कैसा फटका मारा
हाय मुझे कर गया लम्ब लैट
या रब्बा ख़ैर हो दुरकिट-ए-मू हो दुरकिट-ए-मू
दिल हो गया शन्टी फ़्लैट
या रब्बा ख़ैर हो दुरकिट-ए-मू हो दुरकिट-ए-मूपड़ा जब प्रेम में घाटा
तो बिका अपना आटा
लगा वो चाँटा फाँटा
अरे मैं हो गया चट्टम चैट
या रब्बा ख़ैर हो दुरकिट-ए-मू
हो दुरकिट-ए-मू
दिल हो गया शन्टी फ़्लैट
या रब्बा ख़ैर हो दुरकिट-ए-मू हो दुरकिट-ए-मू
हो किया यार ने अन्टी फ़्लैट
या रब्बा ख़ैर हो दुरकिट-ए-मू हो दुरकिट-ए-मू( झम्पक लम्पा दिल विल बम्पा
झम्पक लम्पा दिल विल बम्पा
या रब्बा ख़ैर हो या रब्बा ख़ैर
पिट-ए-मू दुरकिट-ए-मू पिट-ए-मू ) -४