गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - तलत | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - आशियाना: | वर्ष - 1952
View in Romanमैं पागल मेरा मनवा पागल
पागल मेरी प्रीत रे
पगले-पन की पीड़ वो जाने
बिछड़े जिसका मीत रे
मैं पागल मेरा मनवा पागल
कहे ये दुनिया मैं दीवाना
दिन में देखूँ सपने
दीवानी दुनिया क्या जाने -
ये सपने हैं अपने -
घायल मन की हंसी उड़ाये
ये दुनिया की रीत रे, मैं पागल
छुपी हुई मेरी काया में
राख किसी परवाने की
ये मेरा दुखिया जीवन है
रूह किसी दीवाने की
मन के टूटे तार बजाकर
गाऊँ अपने गीत रे
मैं पागल मेरा मनवा पागल
पागल मेरी प्रीत रे, मैं पागल