दुनिया में ग़रीबों को आराम नहीं मिलता - The Indic Lyrics Database

दुनिया में ग़रीबों को आराम नहीं मिलता

गीतकार - कमर जलालाबादी, बेहज़ाद लखनऊ | गायक - शमशाद | संगीत - ग़ुलाम हैदर | फ़िल्म - जमींदार | वर्ष - 1942

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दूर पपीहा बोला रात आधी रह गई

दूर पपीहा बोला रात आधी रह गई

मेरी तुम्हारी मुलाक़ात बाक़ी रह गई

दूर पपीहा बोला

मेरा दिल है उदास जिया मंदमंद है

बादलों के घेरे में चाँद नज़रबन्द है

बादल आए पर बरसात बाक़ी रह गई

मेरी तुम्हारी मुलाक़ात बाक़ी रह गई

दूर पपीहा बोला

आँख मिचौली खेली, झुला झूम के झूले

बन में चमेली फूली हम बहार में भूले

पर देनी थी जो सौग़ात बाक़ी रह गई

मेरी तुम्हारी मुलाक़ात बाक़ी रह गई

दूर पपीहा बोला