जब तक जहाँ में सुबह शाम है - The Indic Lyrics Database

जब तक जहाँ में सुबह शाम है

गीतकार - इरशाद कामिलो | गायक - अभय जोधपूरकर | संगीत - अजय-अतुल | फ़िल्म - ज़ीरो | वर्ष - 2018

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वो रंग भी क्या रंग है
मिलता ना जो तेरे होंठ के रंग से हूँ ब हूँ
वो खुशबू क्या ख़ुश्बू
ठहरे ना जो तेरी सांवरी ज़ुल्फ़ के रू ब रू
तेरे आगे ये दुनिया है फीकी सी
मेरे बिन तू न होगी किसी की भी
अब ये जाहिर सर-ए-आम है
ऐलान है
जब तक जहाँ में सुबह शाम है
तब तक मेरे नाम तू
जब तक जहाँ में मेरा नाम है
तब तक मेरे नाम तू
उलझन भी हूँ तेरी
उलझन का हल भी हूँ मैं
थोड़ा सा ज़िद्दी हूँ
थोड़ा पागल भी हूँ मैं
बरखा बिजली बादल झूठे
झूठी फूलों की सौग़ातें
सच्ची तू है, सच्चा मैं हूँ
सच्ची अपने दिलकी बातें
दस्तख़त हाथों से हाथों पे कर दे तू
ना कर आँखों पे पलकों के परदे तू
क्या ये इतना बड़ा काम है
ऐलान है
जब तक जहाँ में सुबह शाम है
तब तक मेरे नाम तू
जब तक जहाँ में मेरा नाम है
तब तक मेरे नाम तू
मेरे ही घेरे में घूमेगी हर पल तू ऐसे
सूरज के घेरे में रहती है धरती ये जैसे
पाएगी तू खुदको न मुझसे जुदा
तू है मेरा आधा सा हिस्सा सदा
टुकड़े कर चाहे ख्वाबों के तू मेरे
टूटेंगे भी तो रहने हैं वो तेरे
तुझको भी तो ये इल्हाम है
ऐलान है