गीतकार - प्रदीप | गायक - बच्चे, अरुण कुमार | संगीत - सरस्वती देवी | फ़िल्म - बंधन | वर्ष - 1940
View in Roman( चने ज़ोर ग़रम बाबू मैं लाया मज़ेदार
चने ज़ोर ग़रम ) -२मेरे चने हैं चटपटे भैया और बड़े लासानी
और कैसे चाव से खाते देखो राम और रमजानी
और चुन्नू मुन्नू की जबान भी हो गई पानी-पानी
और कहें कबीर सुनो भई साधो छुनक गुरू की बानी( चने ज़ोर ग़रम बाबू मैं लाया मज़ेदार
चने ज़ोर ग़रम ) -२अरे मदरसे का जीवन तो चंद दिनों का ठाठ
और पढ़-लिख कर सब चल दोगे तुम अपनी-अपनी बाट
फिर कोई तुम में होगा अफ़सर कोई गवर्नर लाट
तब मैं आऊँगा दफ़्तर तुमरे
मैं आऊँगा दफ़्तर तुमरे लिये चने की चाट( चने ज़ोर ग़रम बाबू मैं लाया मज़ेदार
चने ज़ोर ग़रम ) -२चने ज़ोर ग़रम बाबू मैं लाया मज़ेदार
चने ज़ोर ग़रममेरा चना बना है आला जिसमें डाला ग़रम-मसाला
चखते जाना जी तुम लाला ऐसा हूँ मैं दिल्ली-वाला
इनका स्वाद है बड़ा निरालाचने ज़ोर ग़रम बाबू मैं लाया मज़ेदार
चने ज़ोर ग़रमआई चने की बहार खाते जाना तुम सरकार
मेरे चने जायकेदार
अगर तुमको न होय एतबार तो मैं भी कहता हूँ ललकारचने ज़ोर ग़रम बाबू मैं लाया मज़ेदार
चने ज़ोर ग़रमदेख लो मेरा ये दरबार जहाँ पर खड़े सिलसिलेवार
रियासत भर के सब सरदार एक से एक सभी हुसियारकिड्स कोरस : एक से एक सभी हुसियारये देखो मेरे सूबेदार ये देखो मेरा तहसिलदार
यही हैं मेरे थानेदारकिड्स कोरस : एक से एक सभी हुसियारऔर ये बड़े सिपहसलार बानर-सेना के सरदार( चने ज़ोर ग़रम बाबू मैं लाया मज़ेदार
चने ज़ोर ग़रम ) -२