चांद अपना सफर कटम करता रहः - The Indic Lyrics Database

चांद अपना सफर कटम करता रहः

गीतकार - जफर गोरखपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - उषा खन्ना | फ़िल्म - शामा | वर्ष - 1981

View in Roman

चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शमा जलती रही रात ढलती रही
चाँ अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शमा जलती रही रात ढलती रही
दिल में यादों के नश्तर से टोओट किए
एक तमन्ना कलेजा मसलती रही
चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शमा जलती रही रात ढलती रहीबदनसीबी शराफ़त की दुश्मन बनी
सज संवर के भी दुलहन न दुलहन बनी
टीका माथे पे इक दाग़ बनता गया
मेहंदी हाथों से शोले उगलती रही
चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शमा जलती रही रात ढलती रहीख़्वाब पलकों से गिर कर फ़ना हो गए
दो क़दम चलके तुम भी जुदा हो गए
मेरी हारी थकी आँख से रात दिन
इक नदी आँसूओं की उबलती रही
चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शमा जलती रही रात ढलती रहीसुबह मांगी तो ग़म का अंधेरा मिला
मुझ को रोता सिसकता सवेरा मिला
मैं उजालों की नाकाम हसरत लिए
उम्र भर मोम बन कर पिघलती रही
चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शमा जलती रही रात ढलती रहीचंद यादों की परछाइओं के सिवा
कुछ भी पाया न तनहाइओं के सिवा
वक़्त मेरी तबाही पे हँसता रहा
रंग तक़दीर क्या क्या बदलती रही
चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शमा जलती रही रात ढलती रही
दिल में यादों के नश्तर से टोओट किए
एक तमन्ना कलेजा मसलती रही
चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शमा जलती रही रात ढलती रही